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आज़मीन-ए-हज की रवानी के मौक़े पर शानदार ख़िताब



कानपुर। हज को जाने वाले आज़मीन के इस्तक़बाल के लिये अल-जाामिआ तुल -इस्लामिया अशरफुल -मदारिस गदियाना में जश्न-ए-ज़ियारत-ए-हरमैन मुनअक़िद हुआ, जिसकी सदारत आल इंडिया ग़रीब नवाज़ कौंसिल के क़ौमी सदर, जाामिआ के सरबराहे आला, मौलाना मुहम्मद हाशिम अशरफ़ी साहब क़िब्ला इमाम ईदगाह गदियाना ने फ़रमाई।इस मौक़े पर उन्होंने मुल्क भर के तमाम आज़मीन-ए-हज से अपील की कि हिंदोस्तान में अम्न व अमान और ख़ुशहाली , फ़िरक़ा परस्ती और दहशत गर्दी से निजात के लिये मक्का मदीना में ख़ुसूसी दुआ करें। मौलाना अशरफ़ी ने ख़ुसूसी ख़िताब फ़रमाते हुए कहा कि फ़रीज़ा-ए-हज अफ़ज़ल तरीन इबादत और दीन-ए-इस्लाम का अज़ीम रुक्न है। पूरी ज़िंदगी में हज एक बार फ़र्ज़ है और एक से ज़्यादा मुस्तहब है। हज मोहताजगी और गुनाहों को दूर करता है, हज कमज़ोरों का जिहाद है, हज से नफ़्स पाकीज़ा और रिज़्क कुशादा होता है।महमान-ए-ख़ुसूसी आली जनाब दस्तगीर अशरफ़ सभासद किछौछा शरीफ़ का हार फूल से शानदार इस्तक़बाल किया गया।महफ़िल के इख़्तिताम के बाद तबर्रुक तक़सीम किया गया और 11 आज़मीन-ए-हज में से मुहम्मद रफ़ीक़ उर्फ़ मुंशी सदर जाामिआ, क़ारी सैयद मुहम्मद क़ासिम बरकाती, मुहम्मद असलम बरकाती,  फैयाज अहमद, मुहम्मद कामिल, नजीमुल्लाह सिद्दीकी, मुहम्मद सलीम, मुहम्मद शहज़ादे, मुहम्मद सईद, हयात ख़ान और मुहम्मद शारिक साहिबान को हुज़ूर ग़ाज़ी-ए-इस्लाम ने अपने हाथों से बतौर तोहफ़ा जाए नमाज़ दिया और हार फूल से शानदार इस्तक़बाल किया गया।

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