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गृहे गृहे संस्कृतम् योजना से संस्कृतमय होगा वातावरण

लखनऊ। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ द्वारा संचालित गृहे गृहे संस्कृतम् योजना के अंतर्गत मार्च मासीय बारह दिवसीय संस्कृत शिक्षण शिविर केंद्रों का उद्घाटन आभाषिक पटल पर सम्पन्न हुआ। यह प्रशिक्षण दिनांक 03 मार्च 2025 18 मार्च 2025 तक संचालित होगा। जिसमें प्रदेश के विभिन्न जनपदों में 56 प्रशिक्षक सरल संस्कृत भाषा शिक्षण कक्षा का संचालन करेंगे । संस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री दिनेश मिश्र जी ने कहा कि गृहे गृहे संस्कृतम् योजना प्रशिक्षकों के अथक प्रयास से पुष्पित हो रही है। भविष्य में इस योजना के द्वारा संस्कृतमय वातावरण का निर्माण अवश्य होगा। ऑनलाइन समन्वयक श्री धीरज मैठानी जी ने योजना का विषयोपस्थापन किया। उन्होने कहा कि इस योजना से संस्कृत को सीखे ही नहीं अपितु इसे आचरण में लाने की महती आवश्यकता है। भारत की संस्कृति की सार्थकता संस्कृत भाषा में ही नीहित है। योजना के प्रदेश समन्वयक डॉ0 अनिल गौतम ने समागतों का धन्यवाद ज्ञापन किया। प्रदेश समन्वयक ने कहा कि संस्कृत भाषा भारतीयो के लिए संस्कृति और संस्कार का समन्वित रूप है जो जीवन को सुसभ्य बनाती है। उद्घाटन-सत्र में कार्यलय के कर्मचारी श्री महेन्द्र पाठक, श्री नितेश श्रीवास्तव, श्रीमती पूनम मिश्रा, श्री ऋषभ पाठक, श्री शान्तनु मिश्र, श्री शिवम गुप्ता आदि मौजूद रहें। समन्वयकों में श्रीमती राधा शर्मा, श्री दिव्यरंजन सहित ओनलाइन संभाषण योजना के प्रशिक्षक उपस्थित रहें। संचालन गृहे गृहे संस्कृतम् योजना के प्रशिक्षिका सुरभि चौधरी ने किया। कार्यक्रम का आरम्भ लौकिक मंगलाचरण से हुआ जिसका वाचन प्रशिक्षिका सीमा शुक्ला ने किया। संस्थान गीतिका प्रशिक्षिका अंजलि त्रिपाठी जी ने प्रस्तुत किया। प्रशिक्षिका गीता वशिष्ठ ने शान्तिमंन्त्र के द्वारा कार्यक्रम का समापन किया।
इस अवसर पर कानपुर जनपद के गंगागंज पनकी में स्थित संकट मोचन बाल संस्कार केन्द्र में हुआ।केन्द्र की समन्वयक प्रीति जी ने दीप प्रज्वलित कर तथा सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण द्वारा कक्षाओं का शुभारंभ किया। उद्घाटन-सत्र में उत्कर्ष (नगर बाल प्रमुख)एवं छात्र-छात्राएं समुपस्थित रहे। केंद्र संचालन संस्थान के शिक्षक राधा पाठक ने किया।

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